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अमावस्या की वह काली रात, चारो तरफ़ घनघोर अँधेरा छाया हुआ था, आसमान में बिजली चमक रही थी. आंधी-तूफ़ान के कारण सभी जगह की बिजली गुल हो गई थी, दूर से सियार के रोने की आवाज वातावरण में एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रही थी और ऐसे में जब बिजली चमकती थी तो चौराहे पर खड़ी मूर्ति भी भूत सी प्रतीत हो रही थी.
इन सब के बीच घर में अकेला रह रहा “जीवन” सबसे ज़्यादा डर रहा था. हालांकि जीवन को डर नहीं लगता था लेकिन ऐसे माहौल में किसी को भी डर लग सकता था. ऐसे में जीवन को कुछ नहीं सूझ रहा था वह बिस्तर के कोने में कम्बल ओढ़ दुबका पड़ा था तभी दरवाजे पर ज़ोर से आवाज होती है और दरवाजा खुल जाता है. दरवाजा ज़ोर से खुलने से जीवन और डर जाता है, तभी सामने से एक परछाई अंदर आने लगती है. परछाई अंदर आती देख जीवन ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगता है. तभी एक आवाज आती है ! …….बेटा क्या हुआ?
जीवन में ऐसे बहुत से मौके आते हैं जब कभी न कभी हमें डर लगता है, बहुत से लोग तो कमरे में अकेले होने पर भी डरते हैं. सभी के डर का कारण एक ही होता है – भूत. भले किसी ने भूत को ना देखा हो लेकिन डरते सभी हैं.
हालांकि, भूतों के अस्तित्व से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. हमने भूतों को देखा नहीं है लेकिन आप इन्हें निम्न तरीकों से महसूस कर सकते हैं:
1. कमरे में तापमान के अंतर महसूस करने की कोशिश करें. भूतों का संबंध ठंडे स्थानों से होता है और अगर कमरे में गरमी होने के बावजूद किसी स्थान में ठण्ड है तो समझ जाएं कि वहां भूत है.
2. भूत भटकती आत्मा होते हैं, जो हमेशा घूमते रहते हैं. इस दौरान वह सामने आई किसी भी वस्तु को अपने रस्ते से हटा देते हैं, इसलिए अगर आप ऐसा कुछ महसूस कर रहे हैं तो चाक या पेंसिल उठा कर उस वस्तु पर घेरा बना दें, अगर वह वस्तु अपने आप वहां से खिसक गई तो समझ जाएं कि आपके आसपास ही कोई भटकती आत्मा है.
3. अपने आसपास की आवाजों को रिकॉर्ड करने की कोशिश करें. भूत पकड़ने वालों का मानना है कि आवाजें जो रेडियो तरंगों की तरह प्रवाहित होती है वास्तव में वह आवाजें भूतो द्वारा निकाली जाती हैं जिसे इलेक्ट्रॉनिक वॉयस फिनॉमिना के द्वारा रिकॉर्ड किया जा सकता है.
4. भूतिया गतिविधियों का संबंध विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन के साथ जुड़ा होता है. अगर आपके कम्पास में चुम्बकीय पूर्वी क्षेत्र में नाटकीय बदलाव हो रहा हो तो हो सकता है कि आपके आसपास भूत मौजूद हो.
अगर आपको डर नहीं लगता हो तो ज़रा सोचिए कि रात में बिना कारणवश आप क्यों उठ जाते हैं.
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