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लम्बूजी अपने आप को क्रिकेट का बहुत बड़ा प्रशंसक मानते हैं. क्रिकेट देखने या खेलने से से अधिक वह क्रिकेट पर चर्चा करना पसंद करते हैं, परन्तु भाईसाहब ऐसी भी कोई चर्चा होती है, जहाँ सिर्फ लम्बूजी बोलते हों और हम सुनते हों, सुनते क्या झेलते हों.
लम्बूजी हर तरह से क्रिकेट अनुयाई है, चाहे वह टी20 हो, वनडे हो, या फिर टेस्ट क्रिकेट हो. अगर टी.वी. पर क्रिकेट आ रहा हो तो सिर्फ लम्बूजी होते हैं और क्रिकेट होता है. फिर ना खाना खाने की सुध ना फिर कोई काम की चिंता.
वैसे तो दूसरों को खुश करने में वह अपनी खुशी ढूँढ लेते हैं पर कल का आलम कुछ और था. कल पहली बार मैंने उनके चेहरे में चिंता देखी. उनका मुरझाया हुआ चेहरा माहौल में मातम फैला रहा था, ऐसा लग रहा था कि उनकी खुशी को काले कौए की नज़र लग गई हो. उनके उदासी भरे चेहरे को देख मुझसे रहा नहीं गया और मेरे बहुत आग्रह करने पर उन्होंने अपनी चिंता मुझसे बांटने का फैसला किया, परन्तु इसके साथ-साथ मेरे दिलो-दिमाग में कौतुहल भी होने लगा और मैं इस असमंजस मे पड़ गया कि क्या लम्बूजी की चिंता का भागीदार बनना सही होगा, क्या मैं उनकी चिंता का निवारण कर पाउँगा, परन्तु लम्बूजी को ऐसे अकेले छोड़ भी नहीं सकता था.
लम्बूजी की चिंता
लम्बूजी – क्या कहूं दोस्त आज कल हलक से खाना नहीं उतर रहा है, तुम्हें तो पता है 30 अप्रैल से टी20 विश्व कप वेस्टइंडीज में शुरू हो रहा है.
मैं – परन्तु लम्बूजी इसमे चिंता की क्या बात, यह तो आप के लिए सोने पे सुहागा हो गया. अभी आईपीएल समाप्त ही हुआ था कि एक और क्रिकेट प्रतियोगिता वो भी विश्व कप प्रतियोगिता.
लम्बूजी – अरे भाई यही तो चिंता है.
मैं – लम्बूजी क्रिकेट ! आप के लिए चिंता!
लम्बूजी – इस बार टी20 विश्व कप वेस्टइंडीज मे हो रहा है.
मैं – हाँ तो फिर.
लम्बूजी – वेस्टइंडीज में हो रहा है तभी तो दिक्कत है. वहाँ पहला मैच सुबह 9:30 पर खेला जाएगा, दूसरा दोपहर 1:30 बजे और तीसरा रात का मैच होगा, जो शाम 5:00 बजे शुरू होगा.
मैं – सही तो है सुबह से शाम क्रिकेट. इस गर्मी में अब घर ही में रहेंगे.
लम्बूजी – अरे बुद्धू सुबह से शाम तक नहीं शाम से रात तक.
मैं – मतलब!
लम्बूजी – यह समय वेस्टइंडीज के समय अनुसार था, किन्तु अगर हम अगर भारतीय समय अनुसार देखे तो पहला मैच शाम 7:00 बजे शुरू होगा, दूसरा रात 10:30 बजे और तीसरा मैच शुरू होते-होते तो 2:30 बज जाएंगे इसका मतलब तीसरा मैच खत्म होते-होते सूरज उग जाएगा. फिर मैं सोऊगा कब और ऐसा रहा तो ऑफिस में झपकी मारता रहूँगा. तुम्हीं बताओ, है ना यह चिंता का विषय.
(भला मैं लम्बूजी के बात कहाँ टालता, परन्तु मुझे यह भी पता चल गया कि लम्बूजी का क्रिकेट ही जीवन है )
मैं – अरे, यह तो गहन चिंता का विषय है.
लम्बूजी – ऐसे ही चिंता एरिक बना को भी है.
मैं – लम्बूजी अब यह एरिक बना कौन है.
लम्बूजी – मेरा दोस्त है ऑस्ट्रेलिया का है, चैटिंग फ्रेंड है, कल उससे चैटिंग हो रही थी, कह रहा था ऑस्ट्रेलिया में मैच सुबह-सुबह शुरू होंगे, मतलब सुबह उठने की परेशानी.
मैं – अरे लम्बूजी कौन कहता है आप सारे मैच देखो. पता है आप क्रिकेट के बहुत बड़े आशिक हो परन्तु ऑफिस भी तो ज़रुरी है. कौन कहता है आप से सारे मैच देखो, केवल भारत का मैच देखिये और कभी मौका मिले तो दूसरे मैच भी देख लेना, आखिर काम भी बहुत ज़रुरी है और हार-जीत का परिणाम तो पता चल ही जाएगा.
लम्बूजी – दोस्त तुम कहते तो सही हो, परन्तु…..
मैं – क्या परन्तु ? अगर ज़्यादा दिक्कत है तो ले लीजिये 17 मई तक छुट्टी.
लम्बूजी – छुट्टी ले तो लेता पर कुल मिला कर दो छुट्टी बची है. सारी छुट्टी तो आईपीएल में ले ली.
मैं – सारी छुट्टी व्यर्थ कर दी ना, अब भुगतो. मैं जैसा कहता हूं, वैसा ही कीजिये.
लम्बूजी – हाँ भाई, अब तो लगता है ऐसा ही करना पड़ेगा. चलो अब चलता हूं.
तो दोस्तों यह थी लम्बूजी की चिंता. किसी तरह मैंने अपना सुझाव तो उनको दे दिया पर अब यह उन पर है कि इसका पालन करें की नहीं. और अंत में आशा करता हूं कि भारतीय टीम एक बार इतिहास दोहराए और विश्व कप जीत कर लौटे.
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